पर्वत
From जैनकोष
- लोक में स्थित पर्वतों के नक्शे - दे.लोक ३/५/८,
- प.पु./११/ श्लोक क्षीरकदम्बक गुरु का पुत्र था। ‘अजैर्यष्टव्यम्’ शब्द का राजा वसु के द्वारा विपरीत समर्थन कराने पर लोगों के द्वारा धिक्कारा गया। उससे दुखी होकर कुतर्क करने लगा (७५)। अन्त में मृत्यु के पश्चात् राक्षस बनकर इस पृथ्वी पर हिंसायज्ञ की उत्पत्ति की (१०३)/(म.पु./६३/२५९-४५५)।