पुष्पांजली व्रत
From जैनकोष
इस व्रत की विधि तीन प्रकार से वर्णन की गयी है - उत्तम, मध्यम व जघन्य। पाँच वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद, माघ व चैत्र में शुक्लपक्ष की - उत्तम - ५-९ तक लगातार पाँच उपवास। मध्यम - ५,७,९ को उपवास तथा ६, ८ को एकाशन। जघन्य - ५, ९ को उपवास तथा ६-८ तक एकाशन ‘ओं ह्रीं पंचमेरुस्थ अस्सी जिनालयेभ्यो नमः’ इस मन्त्र का त्रिकाल जाप्य। (व्रत विधान सं./पृ.४१), (क्रियाकोष)।