प्रतीति
From जैनकोष
ध.१/१,१,११/१६६/७ दृष्टिः श्रद्धा रुचिः प्रत्यय इति यावत् । = दृष्टि, श्रद्धा, रुचि और प्रत्यय (प्रतीति) ये पर्यायवाची नाम हैं ।
पं.ध./उ./४१२ प्रतीतिस्तु तथेति स्यात्स्वीकारः ... ।४१२। तत्त्वार्थ का स्वरूप जिस प्रकार है, वह उसी प्रकार है, ऐसा स्वीकार करना प्रतीति कहलाती है ।