प्रदक्षिणा
From जैनकोष
ध. १३/५,४,२८/८९/१ वंदणकाले गुरुजिणजिणहराणं पदक्खिणं काऊण णमंसणं पदाहिणं णाम । = वन्दना करते समय गुरु. जिन और जिनगृह की प्रदक्षिणा करके नमस्कार करना प्रदक्षिणा है ।
अन. ध./८/९२ दीयते चैत्यनिर्वाणयोगिनन्दीश्वरेषु हि । वन्द्यमानेष्वधीयानैस्तत्तद्भक्तिं प्रदक्षिणा ।९२। = जिस समय मुमुक्षु संयमी चैत्यवन्दना या निर्वाणवन्दना अथवा योगिवन्दना यद्वा नन्दीश्वर चैत्यवन्दना किया करते हैं, उस समय उस सम्बन्धी भक्ति का पाठ बोलते हुए वे प्रदक्षिणा दिया करते हैं ।
- प्रदक्षिणा प्रयोग विधि - देखें - वन्दना ।