बुद्धिलिंग
From जैनकोष
श्रुतावतार की पट्टावली के अनुसार आप का अपरनाम बुद्धिल था । आप भद्रबाहु श्रुतकेवली के पश्चात् नवें ११ अंग व १० पूर्वधारी हुए हैं । समय - वी.नि. २९5-३१५ (ई.पू. २३२-२१२)- दृष्टि नं. ३ के अनुसार वी.नि. ३५५-३७५ । - देखें - इतिहास / ४ / ४ ।