भव्यसेन
From जैनकोष
श्रावस्ती नगरी संघनायक एकादशांगधारी तपस्वी थे। मुनिगुप्त ने एक विद्याधर द्वारा रानी रेवती को धर्मवृद्धि भेजी, परन्तु इनके लिए कोई सन्देश न भेजा। तब उस विद्याधर ने इनकी परीक्षा ली, जिसमें ये असफल रहे। (वृ.क.को./कथा नं. ७/पृ. २१-२६)।