भूतबली
From जैनकोष
मूल संघ की पट्टावली के अनुसार ( देखें - इतिहास / ४ / ४ ) आपके दीक्षा गुरु अर्हद्बलि और शिक्षा गुरु धरसेन थे। पुष्पदन्त आचार्यके गुरु भाई थे। उनके साथ ही गुरु अर्हद्बलिने इन्हें महिमा नगर के संघ से गिरनार पर्वतपर धरसेनाचार्यकी सेवा में भेजा था। जहां जाकर आपने उनसे षट्खण्डागम का ज्ञान प्राप्त किया और उनके पश्चात् उसे लिपिबद्ध करके उनकी भावनाको पूरा किया। आप अल्पवय में ही दीक्षित हुए थे, इसलिए पुष्पदन्त आचार्य के पीछे तक भी बहुत वर्ष जीवित रहे और इसी कारण षट्खण्डका अधिकांश भाग आपने ही पूरा किया। समय–वी. नि. ५९३-६८३ (ई.६६-१५६) विशेष देखें - कोष परिशिष्ट / १ / २ / ९ ।