महात्मा
From जैनकोष
प्र.सा./ता.वृ./९२/११६/१५–मोक्षलक्षणमहार्थसाधकत्वेन महात्मा। = मोक्ष लक्षण वाले महाप्रयोजन को साधने के कारण श्रमण को महात्मा कहते हैं।
प्र.सा./ता.वृ./९२/११६/१५–मोक्षलक्षणमहार्थसाधकत्वेन महात्मा। = मोक्ष लक्षण वाले महाप्रयोजन को साधने के कारण श्रमण को महात्मा कहते हैं।