रहोभ्याख्यान
From जैनकोष
स. सि./७/२६/३६६/८ यत्स्त्रीपुंसाभ्यामेकान्तेऽनुष्ठितस्य क्रियाविशेषस्य प्रकाशनं तद्रहोभ्याख्यानं वेदितव्यम् । = स्त्री और पुरुष द्वारा एकान्त में किये गये आचरण विशेष का प्रगट कर देना रहोभ्याख्यान है । (रा. वा./७/२६/२/५५३/९)।