वर
From जैनकोष
(1) समवसरण के तीसरे कोट की पूर्वदिशा में स्थित गोपुर के आठ नामों में आठवाँ नाम । हरिवंशपुराण 57.56-57
(2) प्रचलित विवाहविधि से कन्या ग्रहण करने वाला पुरुष । कन्या देने के पूर्व इसमें निम्न गुण देखे जाते हैं― कुलीनता, आरोग्यता, अवस्था, शील, श्रुत, शरीर, लक्ष्मी, पक्ष और परिवार । महापुराण 62.64