विराम
From जैनकोष
उक्तिकौशल कला की-स्थान, स्वर, संस्कार, विश्वास, काकु, समुदाय, विराम, सामान्याभिहित, समानार्थत्व और भाषा इन दस जातियों में चौथी जाति । किसी विषय का संक्षेप में उल्लेख करना नियम कहलाता है । पद्मपुराण 24.27-28, 32
उक्तिकौशल कला की-स्थान, स्वर, संस्कार, विश्वास, काकु, समुदाय, विराम, सामान्याभिहित, समानार्थत्व और भाषा इन दस जातियों में चौथी जाति । किसी विषय का संक्षेप में उल्लेख करना नियम कहलाता है । पद्मपुराण 24.27-28, 32