विशाखाचार्य
From जैनकोष
श्रुतावतार के अनुसार आप भद्रबाहु प्रथम के पश्चात् प्रथम ११ अंग व १० पूर्वधारी थे। द्वादश वर्षीय दुर्भिक्ष के अवसर पर आप भद्रबाहु स्वामी के साथ दक्षिण की ओर चले गये थे। भद्रबाहु स्वामी की तो वहाँ ही समाधि हो गयी पर आप दुर्भिक्ष समाप्त होने पर पुनः उज्जैन लौट आये (भद्रबाहु चरित/३) समय–वी.नि.१६२-१७२ (ई.पू.३६५-३५५)।– देखें - इतिहास / ४ / ४ ।