शत्रुघ्न
From जैनकोष
- ह.पु./सर्ग/श्लोक-पूर्वभव भव सं.३ में भानुदत्त सेठ का पुत्र शूरदत्त था (३४/९७-९८) फिर मणिचूल नामक विद्याधर हुआ (३४/१३२-१३३) पूर्व भव में गंगदेव राजा का पुत्र सुनन्द था (३४/१४२) वर्तमान भव में वसुदेव का पुत्र कृष्ण का भाई था (३४/३)। कंस के भय से जन्मते ही किसी देव ने उठाकर सुदृष्टि सेठ के घर पहुँचा दिया (३४/७)। दीक्षा ग्रहणकर घोर तप किया (५९/११५-१२०) अन्त में गिरनार से मोक्ष प्राप्त किया (६५/१६-१७)।
- प.पु./सर्ग/श्लोक सं.दशरथ का पुत्र तथा राम का छोटा भाई था (२५/३५) मधु को हराकर मथुरा का राज्य प्राप्त किया (७९/११६)। अन्त में दीक्षा ग्रहण की (११९/३८)।