शिखि
From जैनकोष
विश्वावसु और ज्योतिष्मती का पुत्र । श्रमण होकर इसने महा तप किया था । आयु के अन्त में निदानपूर्वक मरकर यह असुरों का अधिपति चमरेन्द्र हुआ । पद्मपुराण 12.55-56
विश्वावसु और ज्योतिष्मती का पुत्र । श्रमण होकर इसने महा तप किया था । आयु के अन्त में निदानपूर्वक मरकर यह असुरों का अधिपति चमरेन्द्र हुआ । पद्मपुराण 12.55-56