शंब
From जैनकोष
ह.पु./सर्ग/श्लोक-पूर्व भव सं.७ में शृगाल (४३/११५) फिर वायुभूति ब्राह्मण (४३/१००); फिर सौधर्म स्वर्ग में देव (४३/१४९) चौथे में मणिभद्र सेठ का पुत्र (४३/१४९) फिर सौधर्म स्वर्ग में देव (४३/१५८); फिर कैटभ नामक राजपुत्र (४३/१६०) फिर पूर्व भव में अच्युतेन्द्र (४३/२१६) वर्तमान भव में जाम्बवती रानी से कृष्ण का पुत्र था (४८/७) वन क्रीड़ा करते समय वन में पड़े कुण्डों में से शराब पी ली (६१/४९) जिसके नशे में द्वीपायन मुनि पर उपसर्ग किया (६१/४९-५५)। द्वारका भस्म होने की घटना को जान दीक्षा ग्रहण की। (६१/६८) अन्त में गिरनार से मोक्ष प्राप्त किया (६५/१६-१७)।