श्रीभूति
From जैनकोष
(1) आगामी छठा चक्रवर्ती । महापुराण 76.483, हरिवंशपुराण 60. 564
(2) भरतक्षेत्र के शकट देश में सिंहपुर नगर के राजा सिंहसेन का पुरोहित । इसका दूसरा नाम सत्यघोष था । पद्मखण्ड नगर का सुमित्रदत्त वणिक् इसके यहाँ पाँच रत्न रखकर प्रवास में चला गया था, लौटकर रत्न माँगने पर इसने रत्न नहीं दिये । सुमित्रदत्त का रुदन सुनकर रामदत्ता ने जुए में इसे पराजित किया तथा बुद्धि कौशलपूर्वक इसके घर से सुमित्रदत्त के रत्न मँगवाकर उसे दिला दिये । राजा ने इसका समस्त धन छीनकर इसे मल्लों के मुक्कों से पिटवाया । अन्त में आर्तध्यान से मरकर यह राजा के भण्डार में अगन्धन नाम का सर्प हुआ । महापुराण 27.20-42, 59.146-177 देखें श्रीदत्ता - 1
(2) महोदधि विद्याधर का दूत । महोदधि ने हनुमान के पास इसी से समाचार भिजवाये थे । पद्मपुराण 48.249
(3) भरतक्षेत्र के मृणालकुण्ड नगर के राजा शम्भु का पुरोहित । सरस्वती इसकी स्त्री तथा वेदवती पुत्री थी । राजा शम्भु ने वेदवती को पाने के लिए इसे मार डाला था । धर्म के प्रभाव से यह देव हुआ । पद्मपुराण 106. 133-135, 141-145