श्रुतज्ञानावरण
From जैनकोष
ज्ञानावरणकर्म का एक भेद । ज्ञान-मद के कारण जो पुरुष अध्ययन-अध्यापन नहीं करते हैं, यथार्थता को जानकर भी दूसरों के दुराचारों का उद्भावन करते हैं, हितैषी जिनागम का अध्ययन न कर कुशास्त्र पढ़ते हैं, आगमनिन्दित और परपीडाकारी असत्य बोलते हैं । वे इस कर्म के उदय से ऐसा करते हैं । जिनागम के पढ़ने-पढ़ाने, व्याख्यान करने, हितमित प्रिय वचन बोलने से इस कर्म का क्षयोपशम होता है । जीव इस कर्म के क्षयोपशम से ही विद्वान् और जगत् पूज्य होते हैं । वीरवर्द्धमान चरित्र 17.133-138