सदार्चनपूजा
From जैनकोष
नित्यमहपूजा । घर से प्रतिदिन गन्ध, पूजन, अक्षत आदि द्रव्य ने जाकर जिनालय में जिनेन्द्र की पूजा करना तथा मन्दिर आदि का भक्तिपूर्वक निर्माण कराकर वहाँ अर्हन्त-प्रतिमा की स्थापना कराना और पूजा आदि की व्यवस्था के लिए दान-पत्र लिखकर ग्राम, क्षेत्र आदि देना । महापुराण 38.26-28 ।