सविपाकनिर्जरा
From जैनकोष
निर्जरा का पहला भेद । संसारी-प्राणियों की स्वभावत: होने वाली कर्मनिर्जरा सविपाक निर्जरा कहलाती है । इस निर्जरा काल में नवीन बन्ध भी होता रहता है । वीरवर्द्धमान चरित्र 11.82
निर्जरा का पहला भेद । संसारी-प्राणियों की स्वभावत: होने वाली कर्मनिर्जरा सविपाक निर्जरा कहलाती है । इस निर्जरा काल में नवीन बन्ध भी होता रहता है । वीरवर्द्धमान चरित्र 11.82