सिद्धार्थ
From जैनकोष
- अपर नाम सिद्धायतन-देखें - सिद्धायतन।
- विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर-देखें - विद्याधर।
- मानुषोत्तर पर्वतस्थ अञ्जनमूलकूट का स्वामी भवनवासी सुपर्णकुमार देव- देखें - लोक / ५ / १ ०
- म.पु./६९/श्लो.कौशाम्बी नगरी के राजा पार्थिव के पुत्र थे। (४) अन्त में दीक्षा ले तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध किया (१२-१५) तथा समाधिमरण कर अपराजित विमान में अहमिन्द्र हुआ (१६) यह नमिनाथ भगवान् का पूर्व का दूसरा भव है।-देखें - नमिनाथ।
- ह.पु./सर्ग/श्लो.बलदेव (कृष्ण का भाई) का छोटा भाई था। यदि मैं देव हुआ तो तुम्हें सम्बोधूँगा बलदेव से यह प्रतिज्ञा कर दीक्षा ग्रहण की (६१/४१) स्ववचनानुसार स्वर्ग से आकर कृष्ण की मृत्यु पर बलदेव को सम्बोधा (६३/६१-७१)
- भगवान् महावीर के पिता- देखें - तीर्थंकर / ५ ।
- एक क्षुल्लक था जिसने लव व कुश को शिक्षा दी थी (प.पु./१००/४७)।
- श्रुतावतार की पट्टावली के अनुसार आप नागसेन के शिष्य और धृतिषेण के गुरु थे। ११ अंग तथा १० पूर्वधारी थे। समय-वी.नि.२४७-२६४। तृतीय दृष्टि से वी.नि.३०७-३२४। ( देखें - इतिहास / ४ / ४ )।