सिंहरथ
From जैनकोष
- जम्बूद्वीप वत्सदेश की सुसीमा नगरी का राजा था। संयमी होकर ११ अंगों का अध्ययन कर, सोलह भावनाओं का चिन्तवन किया। तथा तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध किया। समाधिमरण कर सर्वार्थसिद्धि में अहमिन्द्र हुए। (म.पु./६४/२-१०) यह कुन्थनाथ भगवान् का पूर्व का दूसरा भव है।-देखें - कुन्थुनाथ।
- सौदास का पुत्र था। सौदास के नरमांसाहारी होने पर इसको राज्य दिया गया। (प.पु./२२/१४४-१४५)।