सुकेतु
From जैनकोष
म.प्र./५९/श्लो.नं. श्रावस्ती नगरी का राजा था (७२)। जुए में सर्वस्व हारने पर दीक्षा ग्रहणकर कठिन तप किया। (८२-८३) कला, चतुरता आदि गुणों का निदान कर लान्तव स्वर्ग में देव हुआ (८५) यह धर्म नारायण का पूर्व का दूसरा भव है-देखें - धर्म।