सुमुख
From जैनकोष
ह.पु./१४/श्लोक-वत्सदेश की कौशाम्बी नगरी का राजा था (६) एक समय वनमाला नामक स्त्री पर मोहित होकर (३२-३३) दूती भेजकर उसे अपने घर बुलाकर भोग किया (९४-१०७) आहारदान से भोगभूमि की आयु का बन्ध किया। वज्रपात गिरने से मरकर विद्याधर हुआ (१५/१२-१८) यह आर्य विद्याधर का पूर्व का भव है।-देखें - आर्य।