सुरमंजरी
From जैनकोष
राजपुर नगर के सेठ वैश्रवण और उसकी स्त्री आम्रमंजरी की पुत्री । इसके पास चन्द्रोदय नाम का तथा इसी नगर के कुमारदत्त सेठ की पुत्री गुणमाला के पास सूर्योदय नाम का चूर्ण था । जीवन्धरकुमार ने दोनों चूर्णों में इसका चूर्ण श्रेष्ठ बताया था । यह जीवन्धरकुमार पर मुग्ध हो गयी थी । माता-पिता ने इनके मनोगत भाव जानकर इसे जीवंधर के साथ विवाह दिया था । महापुराण 75.311, 348-357, 370-372