सुविधि
From जैनकोष
म.पु./सर्ग/श्लो. महावत्स देश के सुदृष्टि राजा का पुत्र। (१०/१२१-१२२) पुत्र केशव के मोह से दीक्षा न लेकर श्रावक के उत्कृष्ट व्रत ले कठिन तप किया (१०/१५८)। अन्त में दिगम्बर हो समाधिमरण पूर्वक अच्युत स्वर्ग में देव हुआ। (१०/१६९)। यह ऋषभदेव का पूर्व का चौथा भव है।-देखें - ऋषभदेव।