संचार
From जैनकोष
१. एक अक्ष या भंग को अनेक भंगनि विषै क्रम से पलटना। - देखें - गणित / II / ३ ।
२. न्या.वि./वृ./१/२०/२१७/२६ असंचार: असंप्रतिपत्ति:। = असंचार अर्थात् प्रतिपति यानी निश्चय का न होना।
१. एक अक्ष या भंग को अनेक भंगनि विषै क्रम से पलटना। - देखें - गणित / II / ३ ।
२. न्या.वि./वृ./१/२०/२१७/२६ असंचार: असंप्रतिपत्ति:। = असंचार अर्थात् प्रतिपति यानी निश्चय का न होना।