स्थापना-निक्षेप
From जैनकोष
दूसरा निक्षेप । किसी अन्य वस्तु से बनायी गयी आकृति या मूर्ति में किसी वस्तु का उपचार या ज्ञान करना । जैसे घोड़े जैसी आटे की आकृति को घोड़ा समझना । हरिवंशपुराण 17. 135
दूसरा निक्षेप । किसी अन्य वस्तु से बनायी गयी आकृति या मूर्ति में किसी वस्तु का उपचार या ज्ञान करना । जैसे घोड़े जैसी आटे की आकृति को घोड़ा समझना । हरिवंशपुराण 17. 135