हेमराज (पांडे)
From जैनकोष
यह पण्डित रूपचन्द के शिष्य थे। कृति–प्रवचनसार टीका, पञ्चास्तिकाय टीका, भाष्य भक्तामर, गोम्मटसार वचनिका, नयचक्र वचनिका, सितपट चौरासी बोल (श्वेताम्बरियों पर आक्षेप) समय–वि.श.१७-१८ (पं.का.प्र./३ पं.पन्नालाल); (हि.जै.सा.इ./१३१ कामता)।