एकाशना
From जैनकोष
देखें प्रोषधोपवास - 1; 2. साधुका मूल गुण-देखें साधु ।
मूलाचार / आचारवृत्ति / गाथा 35 उदयत्थमणे काले णालीतिय वज्जियम्मि मज्झम्हि। एकम्हि दुअ तिए वा मुहुत्तकालेयभत्तं तु ।35।
= सूर्यके उदय और अस्तकाल की तीन घड़ी छोड़कर, वा मध्यकालमें एक मुहूर्त, दो मुहुर्त, तीन मुहुर्त कालमें एक बार भोजन करना एकभक्त है।
( मूलाचार / आचारवृत्ति / गाथा 492), (विशेष देखें आहार - II.1)