महापुराण सर्ग संख्या ६०/श्लोक "पूर्व के तीसरे भवमें धातकी खण्ड में पूर्व मेरुसे उत्तर की ओर अरिष्ट नगर का छद्मस्थ नामक राजा था (२-३) आगे पूर्व के दूसरे भवमें पुष्पोत्तर विमान में इन्द्रपद प्राप्त किया (१२) वर्तमान भवमें चौदहवें तीर्थंकर हुए हैं।
(विशेष देखे तीर्थंकर ५)।