प्रगणना
From जैनकोष
ध. 11/4,2,6,246/349/10 तत्थ पगणणा णाम इमिस्से इमिस्से ट्ठिदीए बंधकारणभूदाणि ट्ठिदिबंधज्झवसाणट्ठाणाणि एत्तियाणि एत्तियाइम होंति त्ति ट्ठिदिबंधज्झवसाणट्ठाणाणंपमाणं परूवेदि । = प्रगणना नामक अनुयोगद्वार अमुक अमुक स्थिति के बन्ध के कारणभूत स्थितिबन्धाध्यवसानस्थान इतने इतने होते हैं, इस प्रकार स्थितिबन्धाध्यवसानस्थानों के प्रमाण की प्ररूपणा करता है ।