प्रशंसा
From जैनकोष
स.सि./6/25/339/12 गुणोद्भावनाभिप्रायः प्रशंसा । = गुणों को प्रगट करने का भाव प्रशंसा है । (स.सि./7/23/364/12) (रा.वा./6/25/2/530/30) (रा.वा./7/23/1/552/12) ।
- अन्य सम्बन्धित विषय
- प्रशंसा व स्तुति में अन्तर - देखें अन्यदृष्टि ।
- अन्य दृष्टि प्रशंसा - देखें अन्यदृष्टि ।
- स्व प्रशंसा का निषेध - देखें निंदा - 2