१. नन्दीश्वर द्वीप की पूर्वादि दिशाओं में ढोल के आकार के (Cylindrical) चार पर्वत हैं। इनपर चार चैत्यालय हैं। काले रंग के होने के कारण इनका नाम अंजनगिरि है - देखे लोक ४/५। २. रुचक पर्वतस्थ वर्द्धमान कूट का रक्षक एक दिग्गजेन्द्रदेव - देखे लोक ५/१३।