मंदर
From जैनकोष
- सुमेरु पर्वत का अपर नाम–देखें सुमेरु - 2।
- पूर्व पुष्करार्ध का मेरु–देखें लोक - 4.4
- पूर्व विदेह का एक वक्षार पर्वत–देखें लोक - 5.3।
- नन्दन वन का, कुण्डल पर्वत का तथा रुचक पर्वत का कूट–देखें लोक - 5.5,12,13
- विजयार्धकीउत्तर श्रेणी का एक नगर–देखें विद्याधर - 5।
- (म.पु./59/श्लो.नं.)–पूर्वभवों में क्रमसे–वारुणी, पूर्णचन्द्र, वैडूर्यदेव, यशोधरा, कापिष्ठ स्वर्ग में रुचकप्रभदेव, रत्नायुध देव, द्वितीय नरक, श्रीधर्मा, ब्रह्मस्वर्ग का देव, जयन्त तथा धरणेन्द्र होते हुए वर्तमान में विमलनाथ भगवान् के गणधर हुए (310-312)।