रत्नश्रवा
From जैनकोष
== सिद्धांतकोष से == सुमाली का पुत्र तथा रावण का पिता था । (प. पु./7/133, 209)।
पुराणकोष से
अलंकारपुर नगर के राजा सुमाली और रानी प्रीतिमती का पुत्र । अपने वश परम्परा से प्राप्त विभूति को विद्याधर इन्द्र द्वारा छोड़े जाने पर उसे पुन: पाने के लिए मानस्तम्भिनी विद्या सिद्ध करनी चाही । यह पुष्पवन गया । वहाँ इसकी सहायता करने व्योमबिन्दु ने अपनी पुत्री केकसी को नियुक्त किया था । तप के पश्चात् इसने केकसी का परिचय ज्ञात किया । इसी समय उसे विद्या सिद्ध हुई । विद्या के प्रभाव से इसने पुष्पान्तक नगर बसाया और केकसी को विवाह कर भोगों में मग्न हो गया । केकसी से इसके दशानन, भानुकर्ण और विभीषण ये तीन पुत्र और एक चन्द्रनखा नाम की पुत्री हुई । रावण के मरण से दु:खी होने पर विभीषण ने इसे सांत्वना दी थी । पद्मपुराण 7.133, 161-165, 222-225, 8032-33