अप्रत्याख्यान
From जैनकोष
१. संयमासंयमके अर्थमें-
धवला पुस्तक संख्या ६/१,९-१,२३/४३/३ प्रत्याख्यानं संयमः, न प्रत्याख्यानमप्रत्याख्यानमिति देशसंयमः
= प्रत्याख्यान संयमको कहते हैं। जो प्रत्याख्यान रूप नहीं है वह अप्रत्याख्यान है। इस प्रकार `अप्रत्याख्यान' यह शब्द देशसंयमका वाचक है।
(धवला पुस्तक संख्या ६/१,९-२३/४४/३)
धवला पुस्तक संख्या १३/५,५,९५/३६०/१० ईषत्प्रत्याख्यानमप्रत्याख्यामिति व्युत्पत्तेः अणुव्रतानामप्रत्याख्यानसंज्ञा।
= `ईषत् प्रत्याख्यान अप्रत्याख्यान है' इस व्युत्पत्तिके अनुसार अणुव्रतोंकी अप्रत्याख्यान संज्ञा है।
(गोम्मट्टसार जीवकाण्ड / जीव तत्त्व प्रदीपिका टीका गाथा संख्या २८३/६०८/१४)
२. विषयाकांक्षाके अर्थमें
समयसार / समयसार तात्पर्यवृत्ति। तात्पर्यवृत्ति गाथा संख्या २८३ रागादि विषयाकाङ्क्षारूपमप्रत्याख्यानमपि तथैव द्विविधं विज्ञेयं......द्रव्यभावरूपेण।
= रागादि विषयोंकी आकांक्षारूप अप्रत्याख्यान भी दो प्रकारका जानना चाहिए-द्रव्य अप्रत्याख्यान व भाव अप्रत्याख्यान।