अमिततेज
From जैनकोष
महापुराण सर्ग संख्या ६२/श्लो.नं.-अर्ककीर्तिका पुत्र था ।।१५२।। अशनिघोष द्वारा बहन सुताराके चुराये जानेपर महाज्वाला विद्या सिद्ध कर अशनिघोषको हराया ।।२६८-८०।। अनेकों विद्याएँ सिद्ध की और भोगोंके निदान सहित दीक्षा ले तेरहवें स्वर्गमें देव हुआ ।।३८७-४११।। यह शान्तिनाथ भगवान्का पूर्वका नवमां भव है।