वज्रनंदि
From जैनकोष
- नन्दिसंघ के बलात्कारगण की गुर्वावली के अनुसार आप गुणनन्दि के शिष्य तथा कुमारनन्दि के गुरु थे। समय-विक्रम सं. 364-386 (ई. 442-464)।−(देखें इतिहास - 7.2)।
- आ. पूज्यपाद के शिष्य थे। गुरु से बिगड़ कर द्रविड़संघ की स्थापना की। हरिवंशपुराण (ई. 783) में आपके वचन गणधर तुल्य कहे गए हैं। कृतियाँ-नवस्तोत्र, प्रमाण ग्रन्थ। समय-वि. श. 6। (देखें इतिहास - 7.1); (ती./2/450; 3/286)।