आप्त मीमांसा
From जैनकोष
तत्त्वार्थ सूत्रके मंगलाचरणपर आ.समन्तभद्र (ई.श.२) द्वारा रचित ११५ संस्कृत श्लोकबद्ध न्यायपूर्ण ग्रन्थ है। इसका दूसरा नाम देवागम स्तोत्र भी है। इसमें न्यायपूर्वक भाववाद अभाववाद आदि एकान्त मतोंका निराकरण करते हुए भगवान् महावीरमें आप्तत्वकी सिद्धि की है। इस ग्रन्थ पर निम्न टीकाएँ उपलब्ध हैं - १. आचार्य अकलंक भट्ट (ई.६२०-६८०) कृत ८०० श्लोक प्रमाण `अष्टशती'। २. आ. विद्यानन्दि (ई.७७५-८४०) कृत ८००० श्लोक प्रमाण अष्टसहस्री। ३. आ. वादीभसिंह (ई.७७०-८६०) कृत वृत्ति। ४. आ. वसुनन्दि (ई.१०४३-१०५३) कृत वृत्ति। ५. पं. जयचन्द्र छावड़ा (ई.१८२९) द्वारा लिखी गयी संक्षिप्त भाषा टीका। (जै.२/३०३); (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा, पृष्ठ संख्या २/१९०)