कर्तृत्व
From जैनकोष
राजवार्तिक 2/7/13/112/3 . कर्तृत्वमपि साधारणं क्रियानिष्पत्तौ सर्वेषां स्वातन्त्र्यात् । =कर्तृत्व भी साधारण धर्म है क्योंकि अपनी-अपनी क्रिया की निष्पत्ति में सब द्रव्यों की स्वतंत्रता है।
समयसार / आत्मख्याति/ परि./शक्ति नं॰ 42 भवत्तारूपसिद्धरूपभावभावकत्वमयी कर्तृशक्ति:।42। =प्राप्त होने रूपता जो सिद्धरूप भाव है, उसके भावकत्वमयी कर्तृत्वशक्ति है।
पंचास्तिकाय / तत्त्वप्रदीपिका/28 समस्तवस्त्वसाधारणंस्वरूपनिर्वर्तनमात्रं कर्तृत्वं। = समस्त वस्तुओं से असाधारण ऐसे स्वरूप की निष्पत्तिमात्ररूप कर्तृत्व होता है।