कालिका
From जैनकोष
पुरूरवा भील की स्त्री । मुनिराज सागरसेन को मृग समझ कर मारने में उद्यत अपने पति को रोकते हुए इसने कहा था कि ये मृग नहीं वन-देवता घूम रहे हैं । इन्हें मत मारो । यह सुनकर पुरूरवा ने मुनि को नमन किया था और मधु, मांस तथा मद्य के त्याग का व्रत ग्रहण किया था । महापुराण 74.14-22, वीरवर्द्धमान चरित्र 2.18-25