गति
From जैनकोष
(1) यह चार प्रचर की होती है― नरकगति, तिर्यग्गति, मनुष्यगति, और देवगति । ये कर्मानुसार प्राप्त होती है । महापुराण 4. 10, 53, 81, पद्मपुराण 2.161-168,5.326
(2) तालगत गान्धर्व का एक भेद । हरिवंशपुराण 19.151
(3) सौधर्मेन्द्र द्वारा लता वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 21.142