चंद्रप्रभ
From जैनकोष
आप जयसिंह सूरि के शिष्य थे। आपने प्रमेयरत्नकोष तथा दर्शनशुद्धि नामक न्याय विषयक ये दो ग्रन्थ लिखे हैं। समय ई.1102–(न्यायावतार/प.4/सतीशचन्द्र विद्याभूषण)।
आप जयसिंह सूरि के शिष्य थे। आपने प्रमेयरत्नकोष तथा दर्शनशुद्धि नामक न्याय विषयक ये दो ग्रन्थ लिखे हैं। समय ई.1102–(न्यायावतार/प.4/सतीशचन्द्र विद्याभूषण)।