अभीक्ष्णज्ञानोपयोग
From जैनकोष
तीर्थंकर नाम कर्म में कारणभूत सोलह भावनाओं में चौथी भावना― निरन्तर श्रुत (शास्त्र) की भावना रखना । इस भावना से अज्ञान की निवृत्ति के लिए ज्ञान की प्रवृत्ति में निरन्तर उपयोग रहता है । महापुराण 63. 311, 323, हरिवंशपुराण 34.135