इन्द्रक
From जैनकोष
(1) रत्नप्रभा आदि पृथिवियों के पटलों के मध्य मे स्थित बिल । इन बिलों की चारों दिशाओं और विदिशाओं में श्रेणीबद्ध बिल होते हैं । आगे ये बिल त्रिकोण तथा तीन द्वारों से युक्त होते हैं । इन्हें इन्द्रक निगोद भी कहा गया है । हरिवंशपुराण 4.86, 103, 352
(2) अच्युतेन्द्र के 159 विमानों मे एक विमान । महापुराण 10.186-187