इन्द्रत्याग
From जैनकोष
स्वर्ग के राज्य को छोड़ने की इन्द्र की क्रिया । स्वर्ग में अपनी आयु की स्थिति थोड़ी रह जाने पर पृथ्वी पर अपनी द्युति का समय निकट जानकर स्वर्ग-भोगों के प्रति अपनी उदासीनता दिखाते हुए इन्द्र देवों से कहता है कि वह भावी इन्द्र के लिए अपना स्वर्ग साम्राज्य अर्पित करता है । महापुराण 38.203-213