अभ्युत्थान
From जैनकोष
प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति टीका / गाथा संख्या २६२ अभिमुखगमनमभ्युत्थानम्।।
= विनयपूर्वक मुनिके सम्मुख जाना अभ्युत्थान है।
(विशेष देखे विनय) ।
प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति टीका / गाथा संख्या २६२ अभिमुखगमनमभ्युत्थानम्।।
= विनयपूर्वक मुनिके सम्मुख जाना अभ्युत्थान है।
(विशेष देखे विनय) ।