तप्त
From जैनकोष
(1) तीसरी नरकभूमि के प्रथम प्रस्तार का इन्द्रकबिल । इसकी चारों दिशाओं में सौ और विदिशाओं में छियानवें श्रेणीबद्ध बिल है । हरिवंशपुराण 4.80, 118
(2) एक ऋद्धि । इससे तपस्वी उत्कृष्ट तप करता है । महापुराण 11.82
(1) तीसरी नरकभूमि के प्रथम प्रस्तार का इन्द्रकबिल । इसकी चारों दिशाओं में सौ और विदिशाओं में छियानवें श्रेणीबद्ध बिल है । हरिवंशपुराण 4.80, 118
(2) एक ऋद्धि । इससे तपस्वी उत्कृष्ट तप करता है । महापुराण 11.82