धूलिसाल
From जैनकोष
समवसरण के बाहरी भाग में रत्नों को धूलि से निर्मित वलयाकार एक परकोटा । रत्न-धूलि के वर्णों के अनुसार यह कही काला, कही पीला, कही मूँगे के समान लाल, कही हरित वर्ण का होता है । इसके बाहर चारों दिशाओं में स्वर्णमय स्तंभों के अग्रभाग पर अवलंबित चार तोरणद्वार होते हैं । ऊँचे-ऊँच मानस्तंभ इन्हीं के भीतर निर्मित किये जाते हैं । महापुराण 22.81-92, 33. 160 वीरवर्द्धमान चरित्र 14.71 -74