पद्मसेन
From जैनकोष
(1) पश्चिम धातकीखण्ड में स्थित रम्यकावती देश के महानगर के प्रजा हितैषी एक राजा । सर्वगुप्त केवली से धर्मतत्त्व को जानकर तथा यह भी जानकर कि उनके मुक्त होने में केवल दो आगामी भव शेष रह गये हैं― उन्होंने अपने पुत्र पद्मनाभ को राज्य दे दिया । इन्होंने ग्यारह अंगों का अध्ययन किया और उत्कृष्ट तप से तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध किया । मृत्यु होने पर ये सहस्रार स्वर्ग के विमान में इन्द्र हुए और यहाँ से च्युत होकर तेरहवें तीर्थंकर विमल नाथ हुए । महापुराण 59.2-3, 7-10, 21-22
(2) अयोध्या का राजा । इसने पूर्व विदेहक्षेत्र के मंगलावती देश में रत्नसंचय नगर के राजा विश्वसेन को मारा था । हरिवंशपुराण 60. 57-59
(3) भगवान् महावीर के निर्वाण के पश्चात् हुए आचार्यों में एक आचार्य । हरिवंशपुराण 66.27